Sanskrit Bhasha Ki Lipi Kya Hai : संस्कृत को पढ़ने और समझने के लिए संस्कृत भाषा की लिपि क्या है के बारे में भी जानकारी होनी बहुत जरुरी है, इससे आप ना सिर्फ उस भाषा को अच्छे से समझ सकते हैं बल्कि उसके गूढ़ रहस्यों और उसकी रचना के बारे में भी जान सकते हैं।
भारत में स्कूल स्तर पर संस्कृत एक विषय के रूप में शामिल होता है, जिसके द्वारा बच्चों को संस्कृत और उसका व्याकरण सिखाया जाता है। अगर आप संस्कृत भाषा की लिपि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
भारत भाषाओं के लिहाज़ से के विविध संस्कृति वाला देश है यहाँ कई भाषाएँ और बोलियाँ हैं। फिर भी संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जो कि प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी हमारी संस्कृति का हिस्सा है, इसे पौराणिक ग्रंथों की भाषा भी कहा जाता है।
संस्कृत में रुचि रखने वाले लोगों के संस्कृत भाषा की लिपि क्या है (Sanskrit Bhasha Ki Lipi Kya Hai) के बारे में जानना चाहिए।
Sanskrit Bhasha Ki Lipi Kya Hai | संस्कृत भाषा की लिपि क्या है
Sanskrit Bhasha Ki Lipi : संस्कृत भाषा की लिपि ‘देवनागरी’ है। प्राचीन काल से ही संस्कृत को भारत की कई लिपियों में लिखा जाता रहा है, लेकिन आधुनिक समय में संस्कृत का ‘देवनागरी लिपि’ के साथ विशेष संबंध है, यह लिपि वास्तव में संस्कृत के लिए बनी है।
संस्कृत भाषा की लिपि ‘देवनागरी’ में हर एक चिह्न के लिए एक और केवल एक ही ध्वनि है। इस लिपि में 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण शामिल हैं। आधुनिक भारत की कई भाषाएँ जैसे कि हिंदी, मराठी, पंजाबी, बांग्ला, सिंधी इत्यादि संस्कृत से ही उत्पन्न हुई हैं। इसे देवों और धर्मग्रंथों की भाषा भी कहा जाता है। अधिकांश हिंदू धर्म ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गए हैं।
संस्कृत को विश्व की प्रथम भाषा माना जा सकता है क्योंकि विश्व की सबसे पुरानी पुस्तकों (हिंदू धर्म वेदों) की रचना इसी भाषा में की गई है। ऐसा माना जाता है कि वेदों की रचना लगभग 2500 ईसवी पूर्व से लेकर 1200 ईसवी पूर्व के बीच किया गया है।
प्राचीन काल में संस्कृत भाषा की लिपि क्या थी | Sanskrit Bhasha Ki Lipi
प्राचीन काल में संस्कृत भाषा की लिपि ‘ब्राह्मी लिपि’ थी। आधुनिक भारत में जितनी भी भाषाएँ बोली जाती है, उन सभी भाषाओं की लिपि का विकास इसी प्राचीन ‘ब्राह्मी लिपि’ से हुआ है। यहाँ तक की आधुनिक संस्कृत भाषा की लिपि ‘देवनागरी’ का विकास भी इसी लिपि से हुआ है।
देवनागरी लिपि को संस्कृत भाषा की लिपि क्यों कहा जाता है
देवनागरी लिपि को संस्कृत भाषा की लिपि माने जाने के कई कारण है, जिसके बारे में यहाँ संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
- देवनागरी लिपि में प्रत्येक प्रतीक (चिन्ह) के लिए एक ही ध्वनि होती है, जैसा कि संस्कृत में है, इसलिए देवनागरी को संस्कृत भाषा की लिपि माना जाता है।
- दुनिया की सबसे पुरानी लिपियों में से एक ब्राह्मी लिपि पर आधारित ‘देवनागरी लिपि’ में कुल 47 वर्ण हैं, जिनमें 14 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।
- देवनागरी लिपि बाएं से दाएं लिखी जाने वाली लिपि है।
ब्राह्मी लिपि को संस्कृत की लिपि क्यों नही माना जाता
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है कि प्राचीन काल में संस्कृत की लिपि ‘ब्राह्मी लिपि’ थी। लेकिन आधुनिक समय में इसकी लिपि ‘देवनागरी’ है। ब्राह्मी लिपि को संस्कृत की लिपि नही माने जाने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें से प्रमुख तो ये है कि इस लिपि में प्रत्येक चिन्ह के लिए केवल एक ध्वनि नही होती है, जैसा कि Sanskrit Ki Lipi ‘देवनागरी’ में है। इसलिए आधुनिक काल में ब्राह्मी लिपि को संस्कृत की लिपि नही माना जाता।
दूसरा कारण दुनिया की सभी भाषाएँ समय के साथ बदलती रहती हैं और कई शताब्दियाँ बीत जाने के बाद कभी-कभी मूल भाषा पूरी तरह से बदल जाती है, तो उसकी लिपि भी बदल जाती है।
देवनागरी लिपि से उत्पन्न कुछ प्रमुख भाषाएं
आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि देवनागरी सिर्फ़ Sanskrit Bhasha Ki Lipi नही है, बल्कि यह कई भारतीय भाषाओं की जननी भी है। इस लिपि में लिखी गई कुछ प्रमुख भाषाएँ हिंदी, मराठी, मैथिली, नेपाली, सिन्धी, कश्मीरी, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, आदि हैं।
इसके अलावा ‘अपभ्रंश, भीली, बोडो, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, डोगरी, गुजराती, गढ़वाली, हरियाणवी, हिंदुस्तानी, कोंकणी, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मुंदरी, पाई, पहाड़ी, प्राकृत, नेवारी, सादरी, संताली, सरैकी, शेरपा, सूरजापुरी’ जैसी भाषाएँ भी इसी लिपि में लिखी गई हैं।
देवनागरी लिपि की खास बातें
- देवनागरी की वर्णमाला में 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण होते हैं।
- देवनागरी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रयुक्त कई भाषाओं की लिपि मानी जाती है।
- यह लिपि प्राचीन ब्राह्मी लिपि पर आधारित है, जिसे बाएं से दाएं लिखा जाता है।
- संस्कृत की लिपि ‘देवनागरी लिपि’ पूरी दुनिया में चौथी सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली मानी जाती है।
- इस लिपि का इस्तेमाल दुनिया भर की 120 से अधिक भाषाओं में किया जाता है।
- देवनागरी लिपि का पूर्व रूप पहली शताब्दी ई. के आस पास का है, जबकि आधुनिक रूप 10वीं शताब्दी ई. में विकसित हुआ माना जाता है।
- भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से देवनागरी लिपि अक्षरात्मक (सिलेबिक) लिपि मानी जाती है।
संस्कृत की लिपि और भाषा में लिखी गई कुछ प्रमुख रचनाएं
ऊपर आपने जाना कि संस्कृत की लिपि क्या है (Sanskrit Bhasha Ki Lipi Kya Hai)। अब हम दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में शामिल संस्कृत की लिपि में लिखे गए कुछ प्रमुख कई धर्म ग्रंथों और किताबों के साथ उनके लेखक के नाम जानेंगे :
रचना | लेखक (रचयिता) |
---|---|
महाभारत | वेदव्यास |
रामायण | वाल्मीकि |
अर्थशास्त्र | चाणक्य |
अष्टाध्याई | पाणिनि |
महाभाष्य | पतंजलि |
सत्संग सारिका सूत्र | नागार्जुन |
निष्कर्ष
इस आर्टिकल से आपको पता चल गया होगा कि आधुनिक युग में देवनागरी लिपि को संस्कृत भाषा की लिपि माना जाता है। साथ ही कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।
आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख “संस्कृत की लिपि क्या होती है (Sanskrit Ki Lipi Kya Hai)” पसंद आया होगा। इस अपने दोस्तों के साथ सोशल साइट्स में जरुर शेयर करें।